पिंकी ने कई शीरोज को दिया सपनों को पूरा करने का हौसला
जब मैंने शीरोज एप पर पिंकी बजाज के बारे में पढ़ा तो मैं पिंकी के हौसले से आश्चर्यचकित हो गई। पिंकी का हौसला काबिले तारीफ है, और उनकी शख़्सियत लाजवाब भी। खुद से प्यार करने वाली और अपने लेखन को हर कदम ऊंचाई पर ले जाने को प्रतिबद्ध पिंकी एक एमबीए हैं। उनकी कहानी, उनके फैसले, उनके कार्य और उनका दृढ़ संकल्प महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरे है| पिंकी जैसी साधारण लड़की ने मानदंडों के विपरीत जाने का विकल्प चुना, उसके उदाहरण के बाद कई शीरोज समान रास्ते पर चल रही हैं|
राजस्थान के एक सिंधी परिवार से ताल्लुक रखने वाली पिंकी को जीवन में दूसरा नया मौका तब मिला, जब उन्हें अपने लेखन के प्रति प्यार को समझने और उसे परखने का मौका मिला। पिंकी अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताती हैं, मैं अपने जीवन के सबसे बुरे अनुभव को लेकर आज भी सिहर जाती हूं।
मेरे लिए अरेंज मैरिज के तहत एक प्रपोजल आया था। मैंने बस अपना एमबीए ही पूरा किया था। मेरा मन था कि मैं नौकरी करूं और उसके बाद ही शादी की ओर कदम बढ़ाऊं। लेकिन राजस्थान के मेरे परंपरागत सिंधी परिवार ने निर्णय ले लिया था कि मेरी उम्र शादी के लायक हो गई है। हालांकि मैं शादी के लिए बिल्कुल भी मानसिक तौर पर तैयार नहीं थी लेकिन मैं चुपचाप उनकी बात मान ली थी। वह पहला परिवार था, जो मुझे देखने आया था। देखने नहीं बल्कि मुझसे सवाल- जवाब पूछने आया था। मुझे लग ही नहीं रहा था कि वे लोग शादी के लिए आए हैं।
मैं उस मेल- मिलाप को आज भी नहीं भूल पाती हूं, बताती हैं पिंकी। पिंकी आगे कहती हैं, मुझे मेरे गोरे रंग के लिए दोषी ठहराया गया। उन्हें लगा कि मैं मेकअप करके आई हूं, इसलिए मुझे बार- बार मेरे चेहरे को धोकर आने के लिए कहा गया।
मैंने वैसा ही किया, इस दौरान मेरा परिवार यह सब देख रहा था लेकिन किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। चेहरा धोने के क्रम में एक बार तो उनके परिवार से कोई बाथरूम के अंदर तक भी गया कि कहीं मैं झूठ तो नहीं बोल रही। उसके बाद उन्होंने माना कि मेरे गर्दन, चेहरे और हाथों का रंग एक समान है। मेरे लिए यह मानसिक प्रताड़ना ही थी कि उनमें से एक ने मेरे दुपट्टे को हल्का सरकाकर मेरी त्वचा का रंग भी देखा। उसके बाद तो मुझसे अजीबोगरीब सवाल पूछे गए। इस मेल- मिलाप के बाद मैं बुरी तरह से हिल गई थी। मेरा आधा आत्मविश्वास गायब हो चुका था। मुझे लगने लगा था कि मेरे एमबीए करने का क्या कोई फायदा भी है!
ह्यूमन रिसोर्स और मार्केटिंग में एमबीए पिंकी कहती हैं कि उसके बाद मैंने अपने परिवार को फटकार लगाई क्योंकि मैं जानती थी कि एक हद तक वे मेरे साथ थे।
मैं एडवांस्ड स्टडीज करना चाहती थी। मेरे पापा मुझे सबसे ज्यादा प्यार करते हैं। हालांकि, उन्होंने उस अजीबोगरीब परिवार के सामने कुछ नहीं बोला था लेकिन उस सवाल- जवाब के क्रम के बाद वह मेरे और मेरे द्वारा लिए गए निर्णय में मेरे साथ खड़े होते थे।
पिंकी ने इस बुरे अनुभव के बाद शादी का मन बनाने में सात साल लगाए। और उनका कहना है कि मेरे उस निर्णय से मेरे परिवार की अन्य लड़कियों को भी अपनी मर्जी से जीवन जीने का हौसला मिला है। मेरे माता- पिता ने खुद ही कहना शुरू कर दिया कि पढ़ाई पूरी करके अपना करियर बनाओ। मेरे चचेरी बहनें ने मेरे कदमों पर चलना शुरू किया और उन्हें अपनी मनमर्जी का करियर बनाने की छूट मिली, गर्व से बताती हैं पिंकी।
पिंकी का जीवन संतुष्टि से चल रहा था लेकिन उनके साथ हुई एक बड़ी दुर्घटना ने उनके हौसले को फिर से पस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डॉक्टरों ने कह दिया था कि यदि इंफेक्शन कम नहीं हुआ तो पैर काटने पड़ सकते हैं।
पिंकी कहती हैं, उन मुश्किल के क्षणों में मेरी मां ने बड़ी मजबूती से मेरा साथ दिया। वह इंफेक्शन तो ठीक हो गया लेकिन अपने पीछे अपने बुरे अनुभव जरूर छोड़ गया। इन सारे नकारात्मक पलों को हरा कर पिंकी यहां भी विजेता बनीं, इसमें उनकी मां ने उनका एक पल भी साथ नहीं छोड़ा।
जल्दी ही पिंकी को उनकी मनमर्जी का लड़का मिला। अब उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी असामान्य परिस्थितियों में उनकी मां की मृत्यु हो गई। पिंकी दुखी होकर कहती हैं, मैंने बस मातृत्व के क्षणों में प्रवेश ही किया था, मुझे मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ही था कि मुझे मेरी मां छोड़ कर चली गई। 15 जुलाई 2016 को मैं मां बनी और उस समय भी मुझे मेरी अपनी मां की जरूरत थी। लेकिन 21 नवंबर 2016 को आग लगने की एक दुर्घटना में मेरी मां मुझे अकेली छोड़ चली गई। मैं डिप्रेशन के गोते में डूब रही थी, लेकिन उस दौरान मेरे पति ने मेरी मां की भूमिका निभाई। मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती कि उन्होंने उस बुरे दौर में मेरी कितनी मदद की। अगर वह उस समय मेरा साथ नहीं देते तो मेरा डिप्रेशन से बाहर निकलना संभव नहीं था।
फिलहाल एक शिक्षक के तौर पर काम कर रही पिंकी कहती हैं कि शीरोज ने उनके जीवन में बेहतरीन बदलाव लाया है। वह कहती हैं, मैं जिस दौर से गुजर रही थी, मुझे ऐसा कुछ चाहिए था कि मैं खुद को व्यस्त रख सकूं। तभी मेरी करीबी दोस्त नीलू टूटेजा ने मुझे शीरोज एप डाउनलोड करने को कहा।
मैंने नीलू को स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि मैं ऑनलाइन गेम्स खेलने के मूड में नहीं हूं। नीलू ने तब जिद की कि यही वह जगह है, जहां मुझे अभी होना चाहिए। मैंने उसकी जिद के आगे घुटने टेक दिए और शीरोज एप को डाउनलोड कर लिया।
मैंने उस एप को देखा और जाना कि वह दुनिया कितनी खूबसूरत है, जहां हर महिला एक - दूसरे का हाथ थामे एक - दूसरे का सहयोग कर रही है, अपनी कहानी बांट रही है, एक - दूसरे से सीख रही हैं। आज मैं शीरोज एप को धन्यवाद देती हूं, जिसकी वजह से मैं एक मजबूत महिला के तौर पर उभर कर सामने आई हूं।
ढाई साल की प्यारी सी बिटिया की मां पिंकी बजाज आज के दिनों में शीरोज एप की सबसे व्यस्त मेंबर हैं, जहां वह कविताएं लिखने के साथ ही अपने ब्लॉग भी शेयर करती हैं।
पिंकी हंसते हुए कहती हैं, मैं 12 साल की उम्र से कविताएं लिखती आई हूं लेकिन कभी यह नहीं सोचा कि इन्हें दूसरों को पढ़ाऊं। शायद मैं लोगों की प्रतिक्रिया से डरती थी।
शीरोज एप के एस्पायरिंग राइटर्स कम्यूनिटी ने मुझे प्रेरित किया कि मैं बेहतर लिख कर उसे दूसरों को पढ़ाऊं।
लेकिन सबसे बड़ी प्रेरणा मुझे शाइनी होक मैडम से मिली, जिन्होंने मेरे लेखन को सराहा और तुरंत कहा कि मुझे अपना ब्लॉग शुरू करना चाहिए। तभी से एक नई लेखक पिंकी एक कवि और बाद में एक ब्लॉगर बन गई।
खिलखिलाते हुए गर्व से पिंकी आगे कहती हैं, मेरे जीवन में शीरोज आशा, उम्मीद, विश्वास और ऊर्जा की किरण के तौर पर आया है। मैंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और जीता भी है। उनमें से एक ने मुझे शीरोज मग भी दिलवाया है। मैं ही वह पहली सदस्य थी, जिसे एस्पायरिंग राइटर्स कम्यूनिटी में क्विज कराने का मौका मिला।
शादी के लिए अजीबोगरीब सवाल का सामना करने वाली पिंकी ने बहुत लंबा सफर तय किया और आज इस मुकाम पर पहुंची हैं। तो अपनी बिटिया के लिए उन्होंने क्या सोच रखा है? इस सवाल का जवाब पिंकी मुस्कुराते हुए देती हैं, कुछ भी नहीं! मैं चाहती हूं कि वह अपनी मर्जी से अपने जीवन को जिए। मैं कभी भी उसे यह नहीं कहूंगी कि तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। बल्कि मैं उसे बताऊंगी कि कुछ चीजें तुम्हें इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे तुम्हें हानि पहुंचा सकती हैं। मैं उसे आगे बढ़ने दूंगी। बाकी तो समय ही निर्णय लेगा, अभी वह बहुत छोटी है तो मैं उस पर अपना कोई निर्णय कभी नहीं थोपूंगी।
शीरोज के लिए पिंकी क्या संदेश देना चाहती हैं, इस सवाल के जवाब में पिंकी कहती हैं, कभी भी अपने सपनों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होना चाहिए और अपने आस-पास अपनी रोशनी को बिखेरते रहना चाहिए। अपनी बात को सामने रखने में हिचकना नहीं चाहिए। इस सबसे बड़ी बात यह है कि कभी भी बिना कोशिश किए हारना नहीं चाहिए।
यदि पिंकी बजाज की यात्रा ने आपको भी प्रेरित किया है तो कृपया इसे शेयर करें और कमेंट सेक्शन में उनके लिए प्यार जरूर छोड़ें। आप पिंकी को शीरोज पर फॉलो कर सकते हैं।
इस लेख के बारे में कुछ ज़रूरी बातें -
पिंकी बजाज का इंटरव्यू, पुरस्कार विजेता और स्वतंत्र पत्रकार महिमा शर्मा द्वारा किया गया था । यह लेख केवल उनके अंग्रेजी लेख का हिंदी अनुवाद है ।
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